2024 चीन के लिए बाढ़ सबसे बड़ी समस्या दोस्तों इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि हम इंसानों की यह सबसे बुरी आदत है कि जब हम प्रकृति के खिलाफ कुछ करते हैं तो दुनिया में खुशी छा जाती है, लोग कहते हैं कि हमने प्रकृति को जीत लिया है, हमने प्रकृति को हरा दिया है।
लेकिन जब वास्तव में किसी का बाधा रूप प्रकृति में पाया जाता है और मनुष्य को बताया जाता है कि उसे प्रकृति के सामने कितना कुछ बोना है, तो हम मनुष्य रोने-पीटने लगते हैं और प्रकृति का अपना बाधा रूप धारण कर लेते हैं और मनुष्य को प्रकृति पर निर्भर बना देते हैं। वे थोप देते हैं कि यह प्राकृतिक विनाश है और मनुष्य कुछ नहीं कर सकता।
लेकिन असल बात तो ये है कि सबकुछ इंसानों ने ही किया है, इंसानों ने ही बनाया है और इसकी खासियत ये है कि सबसे पहले ये हमें भारत के जोशी मठ में देखने को मिला, उसके बाद एक हफ्ते पहले ये हमें दुबई में देखने को मिला, जहां पिछले 25-30 में दुबई में देखा गया था. प्राचीन काल से ही रसायनों के माध्यम से कलात्मक तरीके से वर्षा की जाती रही है और इसका परिणाम यह है कि आज दुबई में पानी ही पानी है।
घरों में रहने वाले लोगों के घरों में हर तरफ बाढ़ आ गई है. जी हां, रेगिस्तान के बीच में आई भीषण बाढ़ के कारण मशवीरा दुबई में घूम रही है लेकिन इसमें कोई कमी नहीं है लेकिन अब जो चीन में है उसके सामने है तो जोशीमठ। और दुबई तो बहुत छोटी सी चीज़ है, यकीन न हो तो ये आर्टिकल पढ़ लीजिए, ये चीन से निकल रहा है.
चीन में स्थिति यह है कि कम से कम एक करोड़ लोगों को अपना घर बनाना पड़ा है, यानी 1 करोड़ लोगों को अपना घर बनाना पड़ा है या किसी अन्य जगह पर शिफ्ट होना पड़ा है। 1 लाख से ज्यादा घर पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं. चीन के दक्षिणी इलाके में बेहद भीषण बारिश और बाढ़ आई है.
यह भी पढ़ें: आपने आज तक अपने जीवन में कभी किसी देश में बाढ़ आने का कारण नहीं सुना होगा और न ही इसका कोई कारण है। ऐसा नहीं है कि चीन ने नदियों को संकरा कर दिया है, इसका मतलब है कि नदी की चौड़ाई फिर से कम कर दी गई होगी या बढ़ा दी गई होगी या फिर उसने अचानक वर्षा बांध से पानी छोड़ दिया होगा. इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता, कोई कारण नहीं है।
चीन में बाढ़ का खतरा यह है कि चीन में नदी का बढ़ना और जमीन का गिरना समझ में नहीं आता है। आप स्क्रीन पर भी देख सकते हैं कि चीन तेजी से डूब रहा है. हर साल कई फीट जमीन धंस रही है।
असली चीन ने पिछले 25 से 30 वर्षों में अपने देश के भूजल का उपयोग कैसे किया है, यानी जमीन के अंदर जो पानी है, जो बहुत तेजी से बाहर आता है। इसके अलावा फर्टिलाइजर इसे केल्स मिसल्स में बनाया जाता है और जिसका सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है वह यह है कि कपड़ा उद्योग में सबसे ज्यादा पानी बर्बाद होता है और इसके लिए कंपनी ने भूजल का दोहन किया है जिसके कारण जमीन तेजी से सूखती है। वह ख़त्म हो गया है और खोखला होता जा रहा है.
और सोने पर सुहागा यह हुआ कि चीन ने उस सूखी और खोखली ज़मीन पर नए शहर बसाए, दुबई, अमेरिका, लंदन और यूरोप ने अपने शहरों का आकार बढ़ाने के लिए शेष ऐसे उद्यम बनाने में विदेशी शहरों की मदद की। स्थापना शुरू की गई, पूरे शहर की जमीनें खोद दी गईं।
और ऐसे ही नतीजे हो रहे हैं कि चीन की नदियां ऊंची हैं लेकिन तेजी से जमीन में समाती जा रही हैं. इसी तरह, वे हल्के भी हो सकते हैं, लेकिन जैसे ही हल्की बारिश होती है, नदी का पानी भी ऊपर की ओर बहता है और तुरंत शहरों में घुस जाता है। और बहुत कम बारिश होने पर भी चीन के शहरों में 10 से 20 फीट बारिश यानी बाढ़ आ जाती है.
पिछले 12 महीनों में यह कम से कम चौथी बार है जब चीन में यह बाढ़ नहीं आई है. इसके अलावा कई जिलों में मछलियां भी पकड़ी गई हैं. चीन के वे क्षेत्र जिन्होंने अपने कृषि उद्यानों का उपयोग अपनी हरियाली के लिए पिछले हजारों वर्षों की तुलना में बड़े पैमाने पर किया है। हमारे पूर्वजों के पिछले तीन-चार वर्षों में संयुक्त अरब अमीरात में इतना भयानक अकाल पड़ा था कि खड़े फसलें नष्ट हो गईं,
जो किसान अपनी जमीन को पुनः प्राप्त करने में लगे हुए थे, क्योंकि भूजल का नामोनिशान नहीं था, इसलिए किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है और यह एक बड़ा खजाना भी है, सबसे बड़ी मूर्खता यह है कि यदि आप पानी को भी आकर्षित करते हैं ज़मीन से तो आप इसे नदी से आसानी से प्राप्त कर सकते हैं लेकिन इन नदियों के पानी का उपयोग हमारे उद्योग को बढ़ाने के लिए रसायन बनाने में किया जाता है।
यही कारण है कि पिछले दो दशकों में नदियों में पानी का प्रवाह तेजी से कम हो गया था, जिसके कारण रिचार्ज के समय जो भूजल रिचार्ज नहीं होता था, उसे साल भर बिल्कुल भी पानी नहीं मिलता था। यहां भूजल का भुगतान तीन समर्पित लाइनों पर किया जा रहा है ताकि नदियां या बाढ़ भी अब भूजल को रिचार्ज नहीं कर सकें, इसलिए ऐसा कहा जा रहा है,
कि आने वाले दशक में चीन के अवशेषों के कारण अधिकांश शहर इन वस्तुओं की बाढ़ से प्रभावित होंगे और सबसे बड़ी धूल वाली बात यह है कि लोगों को पीने का साफ पानी भी नहीं मिलेगा। मेरे हिसाब से यह हमारे लिए एक बड़ा सबक है। क्योंकि भारत भी नेक्स्ट जेनरेशन इकोनॉमी बनने जा रहा है तो हमें ये भी ध्यान रखना होगा कि हमें अपने देश की इकोनॉमी को सुपर स्पीड से आगे बढ़ाना है लेकिनहमें इस प्रक्रिया में अपने देश को बर्बाद नहीं करना चाहिए।
जय हिन्द!